भूत सुखद है, किंतु वह वर्तमान का स्थान नही ले सकता। जो हुआ, वह अच्छा था। PEC ज़िंदगी के ४ सबसे खूबसूरत साल थे। फिर उसके बाद भी कुछ हसीं पल आए, किंतु वे अब बीत चुके हैं। हम गुजरे कल से प्रेरित हो सकते हैं, उसमे से संभल और खुशी पा सकते हैं, चंद लम्हे चुरा सकते हैं..... लेकिन अपना भविष्य उसमे नही जी सकते।
यह कड़वी सच्चाई है। जितना दूर इस बात से भागूँगा, उतना पछताँऊंगा। आज या कल, स्विक्रोक्ति करनी ही है। फिर इससे दूर सीमाएं जाना ? इससे nakarna kyun?
सीमाएं टूटती हैं। टूट के वे अपना नया अस्तित्व कायम करती हैं। सीमा मे बंधना उचित नही। परिवर्तन रहित परिवर्तन ही नियम है.... जितना जल्दी इस बात को समझो, उतना अच्छा।
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Sunday, March 16, 2008
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