Monday, February 25, 2008

तेरे बिना वो बात नही...

सीताराम भारतीय की खाली कुर्सी,
उदास आधा चेहरा झुकाए,
करती रहती है किसका इंतज़ार?

इंडिया गेट पे इठलाती हुई शाहजहाँ रोड,
किसी के आने की राह देखते हुए,
है किस कि हँसी सुनने को बेकरार ?

ये कुतुब कि सड़कें,
सुंदर काले रंग का दुपट्टा ओढे,
क्यू हैं किसी का चेहरा देखने को तैयार?

सारे गाने वोही तो हैं,
सारे पकवान यही तो हैं,
देखो सब कुछ तो है वही ,
हर चीज़ अपने स्थान पर खड़ी सही,
पर जाने क्यों लगता है तेरे बिना,
तेरे बिना वो बात नही.....

Monday, February 18, 2008

डर

सर्द हवा से टूटते पत्ते
किसी से डर , पीले पड़कर
चुप हो जाते हैं।

किसी कोने में छुप कर,
राहगीरों की पदचाप से बचते हुए,
मौन व्रत में डूब जाते हैं।

और इसी डर से की कोई देख न ले,
अकेलेपन से झूझते हुए,
चिरनिंद्रा में लीन हो जाते हैं।






Oh Me!

I can't see the end of me
My whole expanse I cannot see
I formulate infinity
And store it deep inside of me

http://www.esnips.com/doc/a8773fdc-4859-4f9d-87f2-29d480daead1/Nirvana+-+Oh+Me

Tuesday, February 12, 2008

just a bad feeling.

I don't like forgetting my phone in the room when i go out - wonder who might have called me in my absence - and coming back to realize that no one had anything to say/text.

Monday, February 11, 2008

चूहा और आदमी

बचपन में एक कहानी पढी थी। किसी ऋषि को एक चुहिया मिली। उसने उस चुहिया को मानव रुप दिया और कहा,"आज से तुम मेरी बेटी हो"। समय बीता और वह रूपवती परिपक्व हो गयी। सवाल आया कि उससे शादी लायक लड़का कहाँ से ढूंढें? ऋषि को लगा सूर्य सबसे बलवान है, अतः वह सूर्य के पास गया और कहा कि हे सूर्य देव, आप मेरी पुत्री से विवाह कर लें!
सूर्य ने कहा, "आपकी आकांक्षा मेरे सर माथे, किन्तु बादल मुझसे शक्तिशाली है क्योंकि वह मेरी किरणों को रोक देता है, आप उसे विवाह योग्य वर माने" । ऋषि बादल के पास गए, किन्तु उसने कहा पर्वत सबसे शक्तिशाली है क्योंकि वह मेरा रास्ता रोक देता है... आप गिरिराज हिमालय के पास जाएँ। हिमालय ने कहा," हे सिद्ध आत्मा, एक चूहा मेरे में बिल खोद कर मुझे खोखला कर देता है, मेरी सारी शक्ति धरी कि धरी रह जाती है। आप तो मूषक के पास जाएँ।"
चूहे ने कहा -" ऋषिदेव, मनुष्य प्रजाति से मेरे को डर लगता है, आप अगर रूपवती को चुहिया बना दें तो मैं उससे विवाह कर सकता हूँ" । ऋषि ने तधास्तु कह उसे फिर से चुहिया बना दिया और वे दोनो ख़ुशी ख़ुशी विवाहत्तर जीवन जीने लगे
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जाने क्यों सिरसा से आते वक़्त यह कहानी बार बार मेरे मन में आती रही। मैंने अपने जीवन की बारे में सोचा। मेरे CV को अगर कोई देखें, तो प्रभावित हुए बिना नही रह सकता। उसमे आपको मेरे व्यक्तित्व के कई बेजोड़ नमूने देखने को मिलेंगे। लगेगा कि वाह! क्या मेहनत से लड़के ने ये सभी पुरस्कार जीते हैं। जहाँ जहाँ CV डाला, वहाँ वहाँ वह shortlist भी हुआ। लेकिन अगर मैं सच में उन चीजों के बारे में सोचुँ तो मुझे ख़ुशी कम और दुःख ज्यादा होता है।
मेरी सफलता के पीछे लगता है कि कितने त्याग भी हैं। हर उपलब्धि मालुम पड़ता है जैसे जीभ चिढा रही हो । मानो ये कह रही हो कि "मुझे पाकर भी तुमने क्या हासिल कर लिया?"। ये सब CV के मुद्दे केवल कागज़ पे छिपे काली स्याही के बेढब अक्षरों से अधिक कुछ नही लगते .... और हर बार जब मैं उन्हें पढता हूँ तो मुझे अपने से उतनी ही अधिक घिन्न होती है। याद आता है कि कितना समय जो मैंने कैशोनोवा में बर्बाद किया, वो मित्रों और परिवार के पास जा सकता था। कितना समय जो मैंने PEC की बेवकूफियों में व्यर्थ किया वो मेरी माँ के पास जा सकता था। मेरे माता पिता अकेले रहते हैं अजमेर में और अपनी इस इनवेस्टमेंट बैंकिंग की नौकरी कि वजह से मैं उन्हें और अपने परिवार एवं मित्रो को पूरा समय नही दे पाऊँगा।
याद आता है कि मैंने जानबूझ कर कभी मन में किसी के प्रति सच्चे प्रेम की भावना नही आने दी...क्योंकि वह मुझे आगे बढ़ने से रोक देती। अपने को किसी भी सुन्दर चीज़ के लिए रुकने नही दिया क्योंकि मुझे सदैव प्रथम रहना था। वरुण अग्रवाल भला कभी पीछे कैसे रह सकता है?
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ये चूहे और मनुष्य की कहानी मैं भूल गया था। लेकिन सरसों के खेत, मिट्टी की खुशबू, बस में सफर , रेल की पटरी और शादी देखकर याद आया की मैं भी अधिकाधिक एक चूहा ही तो हूँ । मैं भी हमेशा अपने को और बेहतर बनने के लिए नए लक्ष्य ढूँढता रहता हूँ और आखर में मालूम पड़ता है कि एक सादा मनुष्य बनना ही अच्छा होता -

फलानुसार कर्म के, अवश्य बाह्य भेद हैं।

परन्तु अंतः एक है, प्रमाण भूत वेद हैं॥

ये रिश्ता क्या कहलाता है?

तस्वीरे बनाता रहता हूँ मैं टूटी हुई आवाजों पर,
एक चेहरा ढूँढता रहता हूँ मैं दीवारों और दरवाजों पर,
मैं अपने पास नही रहता और दूर से कोई बुलाता है,
ये रिश्ता क्या कहलाता है?
ये रिश्ता क्या कहलाता है?
ये रिश्ता क्या कहलाता है?
ये रिश्ता क्या कहलाता है?

~~~ राहत इन्दौरी," मिनाक्षी "

Friday, February 1, 2008

Lehman पर कुछ ख़याल

मैं असंख्य छोटे MBA में से एक हूँ, यह बात मैं अच्छी तरह जानता हूँ। यह भी सत्य है कि मेरे से अच्छे बहुत सारे लोग हैं। और इसमे भी कोई शक नही कि काफी सारे लोग मेरे से बेहतर company deserve करते हैं ।

लेकिन तब भी, मेरी असली कीमत क्या है? मैं I Banker बनूँगा कि नही, ये बात एक HR कैसे निर्धारित कर सकता है? वह मेरे से 6- 7 सवाल पूछ के यह कैसे बता सकता है कि मेरे में 'वो' बात है कि नही? मैं यह नही कहता कि मैं सबसे चतुर हूँ, लेकिन मैं किसी से कम भी नही हूँ।

नही lehman , तुम गलत हो। तुम मेरे भविष्य का फैसला नही कर सकते। तुम मेरे आने वाले कल कि भविष्यवाणी करने के काबिल ही नही हो। मैं यह प्रमाणित करके दिखाऊँगा कि मैं भी एक I Banker बन सकता हूँ, ....... न केवल बनने के सक्षम हूँ, बल्कि मैं इतना अच्छा बनूँगा कि तुम्हे ग़म होगा कि तुमने मुझे आज क्यों नही लिया जब मैं पूरे दिल से तुम्हारे पास आने के लिए दो साल से मेहनत कर रहा था ।

मैं साबित करूंगा कि मुझे न लेने का तुम्हारा निर्णय कितना गलत था.....



" कशमकश को छोड़ दे तू,
रुख हवा का मोड़ दे तू
खाली पैमाना है तेरा,
हो सके तो तोड़ दे तू"