Sunday, January 20, 2008

बाबा और अम्मू


ESNIPS पे "हम लायें हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के ...." गाना सुनते हुए याद आया कि छब्बीस जनवरी पास आ गयी है। याद आया कि फिर से स्कूली बच्चों को जबरदस्ती राजपथ ले जाया जाएगा और मैं ख़ुशी ख़ुशी सोचूंगा कि चलो एक छुट्टी और मिली।

तभी याद आया कि मेरे दादाजी (बाबा) और दादीजी (अम्मू) भी शामिल थे स्वतंत्रता सेनानियों में और अनगिनित गांधीवादियों कि तरह उनके भी जेल जान पड़ा था। दोनो कि तबियत भी काफी खराब हुई थी उस दौरान। बाबा और अम्मू दोनो ही संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते थे और उन्हें कोई आवश्यकता नही थी अपने स्निग्ध जीवनशैली त्याग के ,जेल के एक बैरक में बासी रोटी और अधपकी दाल खाने की। लेकिन उन्होने ऐसा किया, कुछ अपनी पीढ़ी के लिए, कुछ मेरी पीढ़ी के लिए और कुछ मेरी आने वाले पीढियों के लिए।

बाबा अब नही रहे, अम्मू से अगर पूछों कि आपने क्यों इतना त्याग किया तो वो कहेंगी कि उस समय का उन्माद ऐसा ही था। वे कहेंगी कि कुछ इतनी बड़ी बात भी नही थी। किन्तु जिस चीज़ के लिए आपने इतनी मेहनत की, उस की कीमत हम में से कोई न समझा।

एक PEPSI पीते , McD का burger खाते और GRE देके पहले मौक़े में अमरीका जाते हुए आपके अयोग्य पौत्र की ओर से शत् शत् नमन .

2 comments:

Blogger said...
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Unknown said...

read few of ur posts ..... really dude u r full of emotions and i simply love this thing about u :) ... never let the fire inside u die... it might cause real frustration and agitation at times but when tht subsides u wud be like a true phoenix, standing with full gumption and grit. i am sure u will contribute in wateva way u cn in the betterment of ur ppl even if u go to the foreign land to pursue ur dreams .....

rab karein har khwaish poori ho tumhari ...
diya toh fir bhi kam jale, lau uddipt rahe hamesha tumhari ! :)


aapka shubh chintak

~cHaNgO