आज biscuits खरीदने के लिए अँधेरी गया। रास्ते में जिन लोगों को मैं नज़रंदाज़ करता हुआ चला जाता हूँ, आज उनकी बातें सुनने की इच्छा हुई। सभी किस्म के लोग थे। कुछ जवान, कुछ बच्चे , कुछ 30-40 साल के, कुछ बूढे। और आज सभी 14 फ़रवरी के बारे में ही बात करते हुए दिखे... कसम से!
कौन कहता है की १४ फ़रवरी से फर्क नही पड़ता आम आदमी को?
Sunday, February 15, 2009
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