इधर बहुत दिनों से मैंने हिन्दी में कोई post नही likhi । इसके दो कारण थे। पहला to ये कि मेरे कंप्यूटर मैं हिन्दी का कोई font installed नही है, और दूसरा ये कि नेट cafe पे जाके लिखने का मेरा मनन नही करता। लिखना चीज़ ही ऐसी है, कभी कभी जब मन करता है तो मैं एक दिन मे 3 post लिख देता हूँ, कभी 3 महीने गुज़र जाते हैं बिना कुछ दिल में आए । ऊपर से जब तक कुछ पूरे दिल से न करू , तो आनंद नही रहता उसे करने का।
खैर, दिल्ली छोड़ के अब मुंबई आ गया हूँ। नई जॉब शुरू हो गयी है 3 महीने पहले। salary मिलने लगी है और उसे उडाने भी लग गया हूँ। ICICI मैं खुश हूँ मैं... दोस्त अच्छे हैं, बॉस अच्छे हैं, साथ मैं काम करने वाले लोग अच्छे हैं, और भई काम bh ठीक ही है। जब पूरे बैंक के पास ही काम नही है, तो अपने dept को क्यूँ गाली दूँ?
पिछले ३ महीने मैं सर्वाधिक आनंद आया जब मैं चेन्नई गया IFMR training करने। training to क्या थी साहब बस ऐश ही ऐश मारी थी वहां पे। नए लोग मिले जो सभी मस्ती मारने ही आए थे, तो मित्रता तो होनी ही थी। यहीं पर मैं रिपुल , विरल , मानसी और वृंदा से मिला जिनके साथ मेरा अक्सर समय बीतता है अब।
बाकी बातें बाद में, अभी तो सोना है।
Wednesday, October 15, 2008
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1 comment:
mazaa aa gayaa aapki guftugu sun kar. mujhe pata nahi tha ki tu blogging karta hai.
sahi hai saale. tere blog ko improve karne ka jimma main uthaaoonga thode dino ke baad. improve matlab looks wise. post tere hi rahenge.
achcha hai yaar.
tera blog padh kar college ki yaad aa gayi. I miss that life.
hhhhhhh.......Kaaaaaaaaash
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