सर्द हवा से टूटते पत्ते
किसी से डर , पीले पड़कर
चुप हो जाते हैं।
किसी कोने में छुप कर,
राहगीरों की पदचाप से बचते हुए,
मौन व्रत में डूब जाते हैं।
और इसी डर से की कोई देख न ले,
अकेलेपन से झूझते हुए,
चिरनिंद्रा में लीन हो जाते हैं।
Monday, February 18, 2008
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